बहुचर्चित टेक्नालाजी में से एक टेक्नोलाजी जो कि बैंकिंग सेक्टर में अभूतपूर्व क्रांति ला सकता है वह है ब्लाकचैन टेक्नालाजी (Blockchain Technology)। डिजिटल युग में जब से बिटक्वाइन क्रिप्टोकरेंसी(Bitcoin Cryptocurrency) का आगमन हुआ है तब से ही उक्त टेक्नालाजी चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि यह क्रिप्टोकरेंसी का बुनियादी ढांचा. (Basic Infrastructure) है ।जब से रिटेल बैंकिंग का आनलाइन पर वित्तीय लेन-देन प्रारम्भ हुआ है तब से रिटेल बैंकिंग का तेजी से क्रमिक विकास हुआ है। “ The Global Findex Database 2017: के अनुसार Financial Inclusion and the Fintech Revolution” Globally आंकलन करने पर 1.7 billion यूथ बिना बैंक खाते के (unbanked) हैं। फिर भी उनमें से 2/3 लोगों के पास मोबाईल फेन है जो कि वित्तीय लेन-देन (financial transaction ) तक पहुंचाने में सहायक होता है तथा डिजिटल बैंकिंग में उज्ज्वल भविष्य की ओर संकेत करता है । डिजिटल प्लेटफार्म न केवल आनलाईन रिटेल बैंकिंग सर्विसेज को परेशानीमुक्त (hassle free) किया है बल्कि मोबाईल बैंकिंग ने कस्टमरों को तत्काल सूचना आदान प्रदान करने की भी सुविधा प्रदान की है । डिजिटल के बाद फाइनेन्सियल सेक्टर में ब्लाकचैन बैंकिंग के प्रति लोगों में बडा उत्साह एवं उत्तेजना है।
ब्लाकचैन क्या है ?
ब्लाकचैन एक प्रकार से डिस्टीब्यूटड लेजर टेक्नालाजी (D.L.T.) है । यह पारम्परिक केर्र्न्द्र्रीयकृत (centralised) डाटा सिस्टम के स्थान पर विकेर्र्न्द्र्रीयकृत (decentralised) डाटा सिस्टम को स्वतंत्र रूप से नोड्स (NODES) को अपने अपने डिस्टीब्यूटड डिजिटल लेजर में Transactions रिकार्ड करने,शेयर करने तथा सिन्क्रोनाइज करने में उपयोग करता है । यह नोट किया जाय कि ब्लाकचैन एक डिजिटल लेजर टेक्नालाजी है लेकिन डिस्टीब्यूटड लेजर टेक्नालाजी ब्लाकचैन टेक्नोलाजी नहीं है। ब्लाकचैन एक प्रकार से D.L.T. है,जो डाटा को ब्लाक्स में संग्रहित करता है तथा ब्लाक्स की चैन बनाकर append-only mode में रखता है अर्थात इसमें कोई भी संबंधित पार्टी उसमें किसी भी प्रकार का संशोधन नहीं कर सकता वह आगे केवल डाटा को जोड़ सकता है ।
ब्लाकचैन टेक्नालाजी का बेंकिंग सेक्टर में उपयोग
के.वाई .सी.(KYC)
बैंक को सम्मिलित करते हुए फाइनेन्सियल इन्सिट्यूट्स ने अपने अपने कस्टमरों के डाटा एवं उचित परिश्रम को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण प्रयास किया है। पर्सनल डाटा प्रोटेक्सन बिल (Personal Data Protection Bill) के आशान्वित रोलआउट (rollout) की दशा में इन्डियन बैकिंग सिस्टम को आगे डेटा सिक्यूरिटी सिस्टम को अभेद्य (impenetrable)बनाने की आवश्यकता होगी जिसे ब्लाकचैन टेक्नालाजी से पूर्ण किया जा सकता है। ब्लाकचैन टेक्नालाजी यूनिक कस्टमर आईडेन्टिफायर (unique customer identifier)उत्पन्न कर इसका उपयोग एकाउन्ट्स खोलने तथा उचित परिश्रम को सुरक्षित रखने तथा डिस्टिब्यूटेड लेजर में स्टोर करने में होगा तथा ब्लाकचैन लेजर में सम्मिलित किसी भी बैंक व्दारा रैफर किया जा सकता है तथा इससे के.वाई.सी. के रेपेटिसन से भी बचा जा सकेगा ।
स्मार्ट कान्टेक्ट (Smart Contract)का प्रयोग करते हुए भुगतानः
स्मार्ट कान्टेक्ट कम्प्यूटर कोड का एक सैट है जो दो या अधिक पार्टीज के मध्य नियमों का एक सैट भी बनाती है जो कि ब्लाकचैन पर कार्य करती है । स्मार्ट कान्टेक्ट के उपयोग करने पर अगर ये पूर्वपरिभाषित नियमों का पालन करता है तो यह स्वयं क्रियाशील होकर आउटपुट देती है । स्मार्ट कान्टेक्ट विकेन्द्रीकृत स्वचालित होकर दो या अधिक सम्बन्धित पार्टीज के मध्य मूल्यवान चीजां यथा करेंसी ,शेयर्स एवं प्रापर्टीज आदि के पारदर्शिता के साथ बिना किसी मध्यस्थता के आदान प्रदान करवाती है तथा सिस्टम को टकरावमुक्त रखती है।
बेेैंकों में कई सारे धनप्रेषण तथा भुगतान आदि कार्यो की जटिलताओं तथा मध्यस्थता के कारण यह महंगा पड्ता है। बैंक स्मार्ट कान्टेक्ट व्दारा कान््टेक्ट कोड्स उत्पन्न करके बैंकिंग कार्यो में त्रुटिरहित एवं पारदर्शिता के साथ लेजर/ अभिलेख का रखरखाव कर सकती है क्योंकि कथित नेटवर्क पर स्मार्ट कान्टेक्ट कोड्स अपरिवर्तनीय एवं वितरित होते हैं।
जोखिम प्रबन्धन (Risk Management)
बैंकों व्दारा कस्टमरों को क्रेडिट सुविधा प्रदान करने से पूर्व रिस्क मैनेजमेन्ट पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि बैंको को कस्टमरों की विश्वसनीयता जानने के लिए कई एजेन्सियों पर आश्रित होना पडता है लेकिन ब्लाकचैन टेक्नोलाजी नेटवर्क से जुडेेे् संबंधित पार्टीज के संबंध में जो कि नेटवर्क पर the distributed ledger’s encryption protocols के अर्न्तगत सुरक्षित हैं के बारे में पूर्ण एवं विश्वसनीय जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । बैंक व्दारा इस प्रकार प्राप्त जानकारी /डाटा से बैंक शीघ्र निर्णय लेकर प्रभावशाली ढंग से अपने बैंकिंग कार्यो को सम्पादित कर सकते हैं ।
Hindi translation by: Mr.D.C.Kala